Ad Code

Nuakhai 2025: ओडिशा का सबसे बड़ा फसल उत्सव

नुआखाई 2025: ओडिशा का एक जीवंत फसल उत्सव (Nuakhai 2025)

Nuakhai' greetings
Nuakhai' 2025-Harvest Festival of Odisha 

भारत विविधताओं की भूमि है, जहाँ हर क्षेत्र अपनी परंपराओं, संस्कृति और कृषि आधारित उत्सवों से अलग पहचान रखता है। इन्हीं उत्सवों में से एक है नुआखाई (Nuakhai Festival), जो विशेष रूप से ओडिशा (Odisha) के पश्चिमी भाग में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह महज एक कृषि उत्सव ही नहीं, बल्कि प्रकृति, परिवार और समाज के साथ गहरे भावनात्मक संबंध को दर्शाने वाला त्योहार है।

28 अगस्त 2025 को जब संपूर्ण पश्चिमी ओडिशा में नुआखाई मनाया जाएगा, तो शहरों से लेकर गाँवों तक हर घर-आँगन में उल्लास, भक्ति और पारिवारिक बंधन की खुशबू फैली होगी।

Download Nua Khai Juhar Greetings and Wishes 


नुआखाई का अर्थ और उत्पत्ति

'नुआखाई' शब्द दो हिस्सों से बना है – 'नुआ' यानी नया और 'खाई' यानी भोजन। इसका अर्थ है – नई फसल का भोजन करना। यह त्योहार नए धान की कटाई के बाद मनाया जाता है और इसे गणेश चतुर्थी के अगले दिन मनाने की परंपरा है।

इस उत्सव की ऐतिहासिक जड़ें काफी गहरी हैं। माना जाता है कि इसकी शुरुआत 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी, जब पटनागढ़ के चौहान शासक राजा रामई देव ने शिकार की बजाय कृषि को बढ़ावा दिया। उसी समय से खेती इस क्षेत्र की जीवनरेखा बन गई और नुआखाई जैसे त्योहारों ने समाज को कृषि से जोड़ने का काम किया।

आज भी यह उत्सव आदिवासी और कृषि समुदायों के बीच गहराई से जुड़ा हुआ है और उनकी सांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा है।


नुआखाई 2025 की तैयारियां और महत्वपूर्ण ‘लग्न’

नुआखाई की तैयारियाँ करीब दो सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती हैं। इस दौरान नौ प्रमुख अनुष्ठान पूरे किए जाते हैं:

  • बेहेरेन – त्योहार की तिथि निश्चित करना
  • डाका हाका – रिश्तेदारों और समुदाय को निमंत्रण भेजना
  • नुआखाई – नए चावल के भोजन को साझा करना
  • जुहार भेट (Nuakhai Juhar) – बड़ों का सम्मान करना और आशीर्वाद लेना

इनमें सबसे महत्वपूर्ण है नुआखाई लग्न (Nuakhai Lagn)। यह शुभ समय राजपुरोहित द्वारा तय किया जाता है और देवी माँ समलेश्वरी, माँ पाटनेश्वरी और पटना के राजा की ज्योतिषीय गणना पर आधारित होता है। इस लग्न के अनुसार ही नबन्ना अर्पण और बाकी अनुष्ठान संपन्न होते हैं।


पवित्र ‘नबन्ना अर्पण’ (Nabanna Arpan) अनुष्ठान

नुआखाई उत्सव का सबसे पवित्र और केंद्रीय अनुष्ठान है – नबन्ना अर्पण (offering of new rice to Goddess Samaleswari)

  • संबलपुर (Sambalpur) के प्रसिद्ध समलेश्वरी मंदिर (Samaleswari Temple) में सबसे पहले नए चावल (Nabanna) देवी को अर्पित किए जाते हैं।
  • देवी को नए वस्त्र और आभूषण पहनाकर विशेष पूजा की जाती है।
  • तय लग्न के समय पर नए चावल का भोग देवी को अर्पित किया जाता है।

नुआखाई 2025 का नबन्ना समय:

  • सामान्य तौर पर सुबह 9:47 बजे से 11:11 बजे के बीच शुभ समय बताया गया है।
  • संबलपुर में समलेश्वरी मंदिर में विशेष नबन्ना अर्पण का समय 10:33 से 10:55 बजे के बीच निर्धारित है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि देवी के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही लोग अपने घरों में नए चावल से बने व्यंजन खाते हैं। यही कारण है कि इस दिन मंदिर सुबह जनता के लिए बंद रहता है और दोपहर लगभग 12:30 बजे फिर से दर्शन के लिए खुलता है।


नुआखाई जुहार और सामाजिक एकता (Nuakhai Juhar 2025)

नुआखाई केवल देवी पूजन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह परिवार और समाज को जोड़ने वाला त्योहार है।

  • युवा पीढ़ी अपने बड़ों को नुआखाई जुहार (सम्मान) करती है।
  • बड़ों से आशीर्वाद लिया जाता है और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ दी जाती हैं।
  • नए कपड़े पहनना, स्वादिष्ट व्यंजन बनाना और आपसी मेलजोल बढ़ाना इस पर्व की खासियत है।

घर-आँगन में "नुआखाई जुहार" की गूँज और रसोई में नए चावल से बने पकवानों की सुगंध – यही इस त्योहार की असली पहचान है।


सांस्कृतिक और पारिवारिक महत्व

नुआखाई केवल फसल उत्सव नहीं, बल्कि यह घर वापसी का पर्व है।

  • ओडिशा से बाहर रहने वाले कई लोग इस दिन अपने गाँव लौट आते हैं।
  • परिवार एक साथ बैठकर नए चावल का भोजन करते हैं।
  • पारंपरिक ओड़िया व्यंजन जैसे दाल, तरकारी और मिठाइयाँ पकाई जाती हैं।

इसके अलावा बलांगीर (Balangir) में पाहूरा यात्रा जैसे पारंपरिक जुलूस भी निकलते हैं, जिनसे उत्सव और भी रंगीन हो जाता है।


प्रकृति और कृतज्ञता से जुड़ाव

नुआखाई 2025 केवल फसल की खुशी का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति आभार (Thanksgiving to Nature) व्यक्त करने का समय भी है।

  • वर्षा और उपजाऊ भूमि के लिए देवी को धन्यवाद दिया जाता है।
  • किसान और परिवार मिलकर श्रम के फलों का आनंद साझा करते हैं।
  • यह अवसर हमें याद दिलाता है कि प्रकृति और कृषि ही हमारे जीवन की नींव हैं।


नेताओं की शुभकामनाएँ

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नुआखाई को भाईचारे और आपसी सद्भाव का पर्व बताया और सभी नागरिकों के लिए समृद्धि की कामना की।
  • मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी ओडिशा के लोगों को नुआखाई की शुभकामनाएँ दीं और माँ समलेश्वरी से आशीर्वाद माँगा।


निष्कर्ष: नुआखाई 2025 – मिट्टी और आत्मा का उत्सव

नुआखाई 2025 सिर्फ फसल उत्सव नहीं है, बल्कि यह परिवार, समाज और प्रकृति को जोड़ने वाला उत्सव है। यह किसानों के परिश्रम को सम्मानित करता है, रिश्तों को मजबूत बनाता है और हमें मातृभूमि की महत्ता का अहसास कराता है।

पश्चिमी ओडिशा का यह उत्सव (Western Odisha Festival) अपनी परंपराओं और भक्ति के साथ यह साबित करता है कि यह सिर्फ मिट्टी का त्योहार नहीं, बल्कि आत्मा का त्योहार भी है।



Post a Comment

0 Comments